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Showing posts from May, 2022

वट–सावित्री : प्रकृति पूजा र पर्यावरण संरक्षण एससी सुमन

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  सृष्टिकर्ता यदा ब्रह्मा न लभे सृष्टि साधनमतदाक्षयवटं, चैनं पूज्या मासकामदम ।’ अर्थात् सृष्टि रचनाको प्रारम्भमा जब ब्रह्माजीलाई यथेष्ट परिमाणमा उचित सामग्री उपलब्ध नहुँदा उहाँले विष्णुजीको उपस्थितिमा वट वृक्षको पूजा–आरधना गरेर परमेश्वरको उचित सहायता प्राप्त गरी आफ्नो मनोरथ पूरा गरे । स्कन्द पुराण तथा भविष्योत्तर पुराणको अनुसार वट वृक्षमा देवताको बास हुने भएकाले यसलाई देव वृक्ष पनि भनिएको छ । यसैगरी, मिथिलामा वट वृक्ष पूजन गरी यसको परिक्रमा गर्ने प्रचलन प्रथाको रूपमा भएको देखिन्छ । धार्मिक किंवदन्ती तथा पौराणिक लोक मान्यता अनुसार वरको रुखमा ब्रह्मा, बिष्णु र महादेवको बास हुने गर्छ । यसको मूलमा भगवान ब्रह्मा, मध्यमा जनार्दन विष्णु तथा अग्रभागमा देवाधिदेव महादेव बास गर्छन भन्ने मान्यता रहिआएको छ । ऋषिपुत्री सावित्रीले आफ्नो पति सत्यवान्को प्राण यमराजसँग खोसेर ल्याएको दिनको स्मरण गर्दै विवाहित महिलाले नयाँ पहिरनमा जेठ औँसीको दिन सामूहिक रुपमा यो पर्व मनाउने गदर्छन् । कुल बधुहरू वरको गाछीमा परिक्रमा गर्दै चारैतिर धागो बाँधी, तन्मय एकाग्रतासँग सावित्री सत्यवान्को प्रेरक कथा सुन्दै सुनाउँदै

दरभंगा टावरक ठमकल घडी....

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  ■ दरभंगा, चाइर दिवसीय मधुवनी लिट्रेचर फेस्टिभलक चारिम संस्करण दरभंगा च्यापटर भाषा, साहित्य, कला और वास्तु शिल्पक एतिहासिक नगरी दरभंगाके महराजा कमेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय प्रांगनमे संपन्न भेल। निमन्त्रणा पावि  उत्साहित छलै । दरभंगा जेबाक अवसर जे छ्ल। करिब तीन दशक वाद पुन: दरभंगा जेवाक ई अवसर डॉ. सविता झा खां जी के वोलाहट पर भेटल। हम अपन पढाईके क्रममे करिब पाँच वरख अत व्यतित केने छलै। वोहि समय मे बरहेता, राँटिस कलाग्रामके रुप मे परिचय भेल छ्ल। तहिया नै सोचने छ्लै मिथिला कलास हमर सम्बन्ध अहि तरहे गठ्जोर करत। अहि नगरी मे मिथिला चित्रकारके रुपमे समान्नित होयब। शुक्रदिन ११ डिसेम्बर साझ क हमर  एकल कला प्रदर्शनी काठमाण्डूमे  "मिथिला कसमस : साईकलस अफ टाईम" शुरु भेल। भोरे काठमाण्डू विमान स्थलस जनकपुरक लिए विदा भेलै। कुहेसक करण विमान करिव चाईर घण्टा बिलम्ब स उडल। जनकपुरक बाद भारतीय सीमा जटहीक लोकल बसमे सीट भेटल, दरभंगाका यात्रा सुखद रहल। लगै छ्ल बहुत किछ  बदलि गेल हेतैक मुदा अतेक वरख बादो  बहुत किछ  नैइ बदल लै। बसके खिडकी स देखने लगल गाममे पक्का घरक संख्या  जरुर बढल सगे गाछ-वृ

मैथिली अनुवाद आ गुगल : एससी सुमन

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  आजुक आधुनिक युगमे अनुवादक महत्ता आ उपादेयताके विश्व भैरमे स्वीकार कायल जा चुका छैक । वैदिक युगक ‘पुन: कथन’ सँ लेक आजुक ‘ट्रांसलेशन’ तक अबैत -अबैत अनुवाद अपन स्वरूप आ अर्थमे बदलावके सगे- सगे अपन बहुमुखी आ बहुआयामी प्रयोजनके सिद्ध कर चुकल अछि । प्राचीन काल में ‘स्वांत: सुखाय’ मानल जाय वाला अनुवाद कर्म आई संगठित व्यवसायके मुख्य आधार बनि गेल अछि । दोसर शब्दमे कहल जाय त अनुवाद प्राचीन कालक व्यक्ति परिधि स निकलक आधुनिक युगक समष्टि परिधिमे समाहित भगेल अछि । आई विश्वभैर मे अनुवादक आवश्यकता जीवनक हरेक क्षेत्रमे कोनो ने कोनो रूप मे अवश्य महसूस कयल जा रहल छैक । अनुवाद आई के जीवनक अनिवार्य आवश्यकता बनि गेल अछि ।   टाइम मशीन आ ऐप आधारित अनुवाद केर आवश्यकता बढि रहल छै ।  गूगल पर एखन धरि एहि मे कुल 133 भाषा क अनुवाद भ सकैत छ्ल, मुदा गूगल 24टा आओर भाषा कए जोड़ि देलक अछि । गूगल ट्रांसलेटर के आजुक समय मे बहुत प्रयोग भ रहल अछि । मुदा संस्कृत एखनो ओहिमे नहि छल । संस्कृत सहित मैथिली, असमिया, डोगरी, कोंकणी, भोजपुरी, मणिपुरी आ मिजो के गूगल ट्रांसलेट टूल मे जोड़ल गेल अछि ।  एहि सँ आन भाषा सब सँ एहि भाषा सब म