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मिथिला : एक सभ्यता र माटोको अमर कला -एससी सुमन

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 मिथिला : एक सभ्यता र माटोको अमर कला -एससी सुमन मिथिला - जहाँ धर्मको दीप प्रज्वलित हुन्छ, शौर्यको सिंहनाद गुन्जन्छ, र कलाको कञ्चन झल्कोले जीवन र आत्मालाई आलोकित गर्दछ । यो भूमि केवल एक भूगोल मात्र होइन, अपितु चिन्तन, सृजन, मर्यादा र मानव सभ्यताको एक अद्वितीय प्रतीक हो । मिथिला सदा नै आध्यात्मिक चेतनाको केन्द्र, वैचारिक विमर्शको उद्गम र कलासंस्कृतिको अक्षुण्ण धरोहर रहिआएको छ । यहाँको संस्कृति, स्थापत्य र लोकचेतना यस्ता छन्, जसले देश मात्र होइन, विश्वसमेत चकित पारेको छ । विशेषतः मिथिलाकी कन्याहरूको कुशल हातबाट जन्मिने लोकचित्रकला,जसले त्रिकालसम्म सन्देश दिन्छ ।  जो अन्तर्राष्ट्रिय मञ्चमा चुलिंदै गएको छ । तर यो मात्र एक पाटो हो; मिथिलाको कलासागरमा अझ गहिरा, अझ दुर्लभ र अनुपम रत्नहरू लुकेका छन्, जसको उज्यालो अझै पूर्णरूपमा बाहिर आउन सकेको छैन । तीमध्ये एक छ -मृणशिल्प, माटोको आत्मा बोकेको शाश्वत कला । मृणशिल्प - माटोको मोहक रूपान्तरण, जसमा उपयोगिता र सौन्दर्य एकैसाथ जीवन्त हुन्छन् । आगोमा पोलेपछि आत्मा पाएको यो शिल्प, केवल भाँडा - मूर्तिमा सीमित छैन; यो त एक सभ्यताको अभिव्यक्ति हो,...

पौभा चित्रकला: नेपाल कि चित्र-साधना में तान्त्रिक और सांस्कृतिक सवाद

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  पौभा चित्रकला: नेपाल की चित्र-साधना में तांत्रिक सौंदर्य और सांस्कृतिक संवाद By  Suman Singh Posted on September 13, 2025 Time to Read: 17 min - 3127 words सुबोध चन्द्र सुमन (S. C. Suman) नेपाल के समकालीन चित्रकारों में एक महत्वपूर्ण नाम हैं, जिनकी कला में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है। मिथिला क्षेत्र में जन्मे सुमन ने बचपन से ही लोककला, विशेषकर मधुबनी चित्रकला से प्रेरणा ली, जिसे उन्होंने आधुनिक दृष्टिकोण के साथ पुनर्परिभाषित किया। उनकी चित्रकृतियों में मिथिला की पारंपरिक रेखांकन शैली, गहरे रंगों का प्रयोग, तथा सूक्ष्म आकृतियों का संयोजन दिखाई देता है, लेकिन विषयवस्तु आधुनिक जीवन, सामाजिक यथार्थ और सांस्कृतिक द्वंद्व से भी जुड़ी रहती है। सुमन की कला केवल सौंदर्यबोध तक सीमित नहीं, बल्कि उसमें सामाजिक सरोकार और सांस्कृतिक चेतना भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। उन्होंने मिथिला कला को वैश्विक मंच तक पहुँचाने में योगदान दिया है और नेपाल सहित भारत व अन्य देशों की प्रदर्शनियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनके चित्र मिथिला की सांस्कृतिक स्मृति और आधुनिक ...

" लोक चित्रकार का लोक लय"

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  “लोक चित्रकार” का लोक लय By  Suman Singh Posted on September 13, 2025 Time to Read: 7 min - 1291 words वरिष्ठ कलाकार एस. सी. सुमन अपने इस आलेख के माध्यम से नेपाल में प्रचलित पौभा चित्रकला के ख्यात कलाकार  लोक चित्रकार   और उनकी कला यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं I-संपादक एस.सी. सुमन नेपाल की पारंपरिक चित्रकला की एक विधा नेवारी समुदाय द्वारा बनाई जाने वाली पौभा कला है। देखने में यह थाङ्का जैसी लग सकती है, लेकिन इसकी शैली और भावना में अंतर होता है। पौभा कला केवल देवी-देवताओं की कथाओं को ही नहीं, बल्कि आम लोगों की जीवनशैली की कहानियों को भी समेटती है, जबकि थाङ्का कला धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को विशेष प्राथमिकता देती है। नेपाल में गौतम बुद्ध के काल से ही पौभा कला के सृजन की शुरुआत हुई है, ऐसा शास्त्रीय विश्वास है। हालांकि, विदेशी लेखों और अन्य प्रमाणों के आधार पर यह पाया गया है कि 13वीं शताब्दी तक बनी पौभा कलाओं के ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध हैं। परंपरागत पौभा कला को धर्म, संस्कृति और जीवनशैली को जीवंत रखने वाले एक साधन के रूप में माना जाता है। एक तो वैसे ही काठमांडू म...